बात कड़वी है पर है सत्त्वी...

.....(निंदक नियरे राखिए) माफ किजिएगा बात कड़वी है पर है सच्ची । समय लगेगा पर सुनते रहे तो हजम भी हो जाएगी। आपने ये पंक्तियां सुनी ही होगी “निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय, बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय” अथार्त जो आपकी निंदा करते हैं उन्हें अपने करीब रखना चाहिए क्योंकि वो आपके जीवन की गंदगी को साबुन और पानी के बिना ही धो देते हैं। आज के समय इस कहावत को सुन कर हंसी ही आ सकती है। नहीं मानते तो कह कर देख लिजिएकिसी से कि “मैं तुम्हारा निंदक हूं। और मैं तुम्हें तुम्हारे जीवन की कमियां बता कर तुम्हारे जीवन को स्वच्छ कर दूंगा।' कोई थोड़ा शांत बंदा हुआ तो हंस कर कह देगा “भाई आगे चल! कहीं और जाकर स्वच्छता फैला ।” और अगर कहीं हुआ कोई सिरफिरा तो अपने पास बिठा कर आपकी एक–एक निंदा पर ऐसी-ऐसी सुनाएगा कि आप ये कहावत जड़ से भूल जाएगें। मुंह पर निंदा सुनना किसे पसंद होता है। इसीलिए ही तो लोग पीठ पीछे निंदा करते हैं। सच्चाई तो ये है आज के समय कोई भी निंदा सुनने का जिगर लेकर पैदा ही नहीं हुआ। मानते हैं नाकि हमें निंदा सुनना कतई पसंद नहीं हैंऔर कोई करके तो देखे हमारी निंदा हम उसका जीना हराम नहीं कर देगें। राशन पानी लेकर नहीं चढ़ जाएगें। इतना ही नहीं उसे पब्लिकली बदनाम करने तक की धमकी दे दे दे देगें क्या, कर ही देगें। आजकल सोशल मीडिया पर बदनाम करने पर कितनी देर लगती है। आजकल तो स्कूलों में भी बच्चों के अभिभावकों को सिखाया जाता है कि आप अपने बच्चों को कभी भी क्रिसीटाईज ना करें। उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है। तो आम पब्लिक में वो जिगर है कहां जो निंदा को सह सके। पर आज भी दो कौम हैं जो निंदा प्रफ हैं। यानी जो निंदा को सहने का भगवान श्री परशुराम दिल-जिगर रखती हैं। यही दो कौम हैं जिनको जी भर कर कोसा जा सकता है, गालियां दी जा सकती हैं, बदतमीजी की जा सकती है, उनका मजाक उड़ाया जा सकता है, उनपर चुटकले कसे जा सकते हैं। और ना जाने इनके नाम को, इनकी जदगी को, कहां-कहां कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। पर ये दोनों कौमें आपको मुड़ कर कभी भी जवाब नहीं देती। आप कुछ भी कहें, कैसे भी कहें। यहां तक कि अपनी बकवास में, अपनी चर्चा में, अपनी बातों में, अपनी अलोचना में, चाहे आप उनके परिवार को भी घसीट लाएं पर वो आप को मुड़ कर एक भी जवाब नहीं देते। वो चुप से परिस्थितियों के अनुसार अपना अच्छा-बुरा काम करती रहती हैं। जानते हैं ये कौन कौनसी है? वैसे तो आप समझ ही गए होगें पर फिर भी बता देती हूं कि ये कौम है नेता और अभिनेता की। आप इन लोगों की जितनी तारीफ करते हैं उससे कहीं ज्यादा उनकी आलोचना करते हैं। आप निंदक हैं, आप की बात उनके सिर माथेपर सोचिए जब आप उनकी जिंदगी की पर्सनल बातों को फॉरवर्ड पर फॉरवर्ड करते रहते हैं। बढ़-चढ़ करते हैं। मजे ले ले कर करते हैं। पता नहीं कहां-कहां से उनकी ऐसी तस्वीरें खोज कर ले आते हैं। जो शायद उन्हें भी पता ना हों। उनका मजाक उड़ाते हैं। हद से हद गंद बकते हैं। किसी का किसी से रिलेशन बनाते हैं। उनके कार्टून बनाते हैं। उनको बेहद ही शर्मनाक पॉजिशन में दिखाते हैं। जो कर सकते हैं वो आप करते हैं। वैसे ये काम न्यूज चौनल का हुआ करता था। उन्होंने तो कम कर दिया पर जनता ने उस जिम्मेदारी को अपने कंधे पर ले बाखूबी लिया हुआ हैक्योंकि आप नेता-अभिनेता के निंदक हैं। आपको हक है पर इतना हक आपको किसने दे दिया कि आप इन्हें कुछ भी कहें। किसी को पप्पू, तो किसी को फेंकू, तो किसी को गिरिगट। उनकी बात करने में जो आपको मजा मिलता है वो कहां मिलता होगा पर आपने कभी सोचा है कि अगर आपकी पर्सनल लाईफ को कोई खुले आम ला दे। या आपके बारे में कोई अनाप-शनाप बोले या आपके परिवार को उसमें घसीट तो आपको कैसा लगेगा? ये सब सहने के लिए बहुत बड़ा जिगरा चाहिए जनाब और वो जिगरा उन्हीं का होता है जो अर्श पर चमकते हैं और देश पर राज करते हैं। जिन को हम जी भर कर गालियां दे लेते हैं। गालियां देने से पहले सोचते भी नहीं हैं। जी भर के उनके लिए बकवास करते हैं। सोचते भी नहीं हैं कि हम क्या और कैसे बोल रहें हैं। जिनके लिए बोल रहे हैं उनके दिल पर लगती नहीं होगी। उनके परिवार के दिल पर क्या गुजरती होगी। पर हम तो निंदक हैं। हमें हक मिला हुआ है कि हम कुछ भी बकवास कह सकते हैं। और बहुत ही शिद्दत से ये काम हम कर भी रहे हैं। क्योंकि ये काम हमारे दिल के करीब है। हम किसी का एक शब्द सह नहीं सकते पर इन दो कौमों को हम सबकुछ कह सकते हैं। बिना सोचे समझे। सोचना कभी अगर : समय मिले कि हमारी इन बेवजह की ऊलजलूल बातों से किसी के दिल पर ; कितनी चोट लग सकती है। पर हमें आदत है कुछ भी कहने की क्योंकि लियासोचने का काम तो उनका है हमारा थोड़ी। हम तो सिर्फ अपने मुंह से निंदा के नाम पर अपशब्द निकालने का काम करते हैं। देखा जाए तो जो इतना इतना गंद बोल जाते हैं या सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं। निंदको को इससे मिलता क्या है अगर सोचें तो सच बताएं तो कुछ नहीं। पर ये सकून जरुर मिलता है कि ये जानते हैं कि हमारी औकात, चींटी के साहस को चौलेंज करने की नहीं है पर हम देश को चलाने वालों को और अर्श पर चमकने वालों को तू-तड़ांक से बोल कर हमेशा चौलेंज; करते हैं। उनकी इज्जत का फालूदा बनाते हैं। और इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। क्योंकि ये निंदक हैं। पर : सच्चाई ये है कि ये दुनिया जहान के ; निंदक आप वहीं फर्श पर रहे। जिन्हें ; आपने अपनी बकवास की मालाएं ; पहनाईं वो आसमान पर चमक रहें हैं। आपकी निंदा से उनका कुछ नहीं जाता। वो तो बढ़ते जा रहें हैं, बढ़ते रहेगें। हर ; लिहाज से। पैसे, नाम, रुतबे से। और इन निंदको से हजार गुना ज्यादा अच्छी जदिगी जी रहे हैंबेशक के जुबान कुछ ; भी कह ले। कितना भी कह ले वो कभी नहीं घिसती पर कभी-कभी उसे भी विराम देना चाहिएदिमाग को भी जिसमें से इतनी ज्यादा निंदा निकलतीहै। बात कड़वी है और ये बातों का कड़वा पन किसी को सुधार दे तो समझो आज भी अच्छी और सही बातों की जरुरत है। आक्सीजन की तरह। तो आज यहीं तक अगली बार एक और कड़वी बात लेकर हाजरि होगीं नमस्कार। का दरिंदों से थी करना के पहाड़गंज